गोपाल कांडा हरियाणा की राजनीति का एक चर्चित चेहरे के साथ विवादित शख्सियत
हरियाणा विधानसभा चुनाव रिजल्ट के बाद 'हरियाणा लोकहित पार्टी' के नेता गोपाल कांडा एक बार फिर चर्चा में आ गए हैं। विधायक बन चुके गोपाल कांडा ने बीजेपी को सपोर्ट करने का ऐलान कर दिया है। हमेशा से ही गोपाल कांडा हरियाणा की राजनीति का एक चर्चित चेहरे के साथ विवादित शख्सियत रहे हैं।
एक छोटे दुकानदार से लेकर एयरलाइंस के मालिक बनने तक का उनका सफर काफी दिलचस्प होने के साथ ही विवादित रहा है। 54 साल के गोपाल कांडा का पूरा नाम गोपाल गोयल कांडा है। हरियाणा के सिरसा जिले के बिलासपुर गांव के रहने वाले गोपाल कांडा और उनके पूर्वज सिरसा के एक थोक बाजार में सब्जियों की तौल करते थे।
इसी कारोबार की वजह से परिवार को कांडा का सरनेम मिला। असल में वहां के व्यापारी स्थानीय भाषा में लोहे के बाट को 'कांडा' कहते हैं। इसके अलावा गोपाल कांडा के पिता मुरलीधर कांडा सिरसा के एक सफल वकीलों में से एक थे और साथ ही एक प्रतिष्ठित व्यक्ति भी थे।
आपको बता दें कि कांडा की जिदंगी में एक समय ऐसा भी आया था. जब उन्हें अपने कारोबार को चलाने के लिए घर-घर जाकर चंदा मांगने के लिए मजबूर होना पड़ा था। जानकारों के मुताबिक गोपाल कांडा पहले छोटी सी रेडियो रिपेयरिंग की ज्यूपिटर म्यूजिक शॉप के नाम दुकान चलाते थे. उसके बाद उन्होंने अपने भाई गोविंद कांडा के साथ मिलकर जूता-चप्पल बेचने का काम शुरू किया. ये काम चल पड़ा तो शूज की फैक्ट्री डाल ली और फिर कांडा भाईयों की बस निकल पड़ी. लेकिन उनका ये करोबार ज्यादा समय तक चल नहीं पाया और इसकी वजह से कर्जदार हो गए.
इसके बाद 1998 में गुड़गांव में प्रॉपर्टी बिजनेस में कदम रखा जो उस समय तेजी से उभर रहा था। उन्होंने छोटे-छोटे प्लॉट की खरीद-बिक्री करनी शुरू कर दी। धीरे-धीरे गोपाल कांडा का हरियाणा के रियल एस्टेट के एक बड़ा नाम बन गया. और यहीं से कांड़ा की राजनेताओं से मुलाकात और रसूख की शुरुआत हुई. जिसके बाद कांडा ने राजनीति और राजनेताओं को कमाई का जरिया बना लिया.
इसी बीच गोपाल कांडा पर गैंगस्टर से संपर्क होने का भी आरोप लगा और 2007 में केंद्र सरकार ने राज्य सरकार से कांडा की गतिविधियों की जांच कराने की मांग रखी। इसके बाद कांडा की संपति दिन दूनी रात चौगुनी रफ्तार से लगातार बढ़ती गई और उनका रियल एस्टेट कारोबार हिसार, गुड़गांव से लेकर उत्तर भारत के कई शहरों तक फैल गया।
आपको बात दें कि 2008 में कांडा के कई ठिकानों पर इनकम टैक्स के छापे भी पड़े। उन्होंने गुड़गांव से MDLR एयरलाइंस की शुरुआत की, यह वही एयरलाइंस है। इसका नाम उन्होंने अपने पिता के नाम 'मुरलीधर लेखा राम' (MDLR) के नाम पर रखा था। हालांकि उनके विवादों में फंसने के बाद साल 2009 में एयरलाइंस का कामकाज बंद हो गया और उनके राजनीतिक करियर की शुरूआत भी 2009 से हुई थी।
2009 में जब इंडियन नेशनल लोकदल ने गोपाल कांडा को टिकट नहीं दिया तो वह निर्दलीय चुनाव लड़ा और उस चुनाव में वो 6,521 वोटों से जीत गए। हरियाणा के कांग्रेस नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने उन्हें अपने पाले में किया, क्योंकि 90 सदस्यीय विधानसभा में सिर्फ 40 सीट पाने की वजह से कांग्रेस को अन्य विधायकों के समर्थन की जरूरत थी।
कांडा को हरियाणा का गृह राज्य मंत्री बनाया गया। बाद में उन्हें शहरी निकाय, वाणिज्य एवं उद्योग राज्य मंत्री भी बनाया गया। लेकिन उन्हीं की एयरलाइंस में काम करने वाली एयर होस्टेस गीतिका शर्मा की आत्महत्या मामले के बाद साल 2012 में कांडा को इस्तीफा देना पड़ा।
गीतिका शर्मा ने अपने सुसाइड नोट में आरोप लगाया था कि कांडा की प्रताड़ना की वजह से वह आत्महत्या कर रही है। इस मामले में कांडा गिरफ्तार हुए और मार्च 2014 में जेल से रिहा होने के बाद कांडा ने हरियाणा लोकहित पार्टी की स्थापना की। वह 2014 में लोकसभा चुनाव भी लड़े, लेकिन हार गए।
उन्होंने सिरसा में एक बाबा ताराजी चैरिटेबल ट्रस्ट की स्थापना की जिसके पास आंखों का अस्पताल, 13 एकड़ का विशाल परिसर है जिसमें 108 फुट की भगवान शिव की मूर्ति है, 2.5 एकड़ में फैला स्कूल और उनका अपना महल है। इस ट्रस्ट के सालाना कार्यक्रम में कांडा बॉलीवुड के बड़े-बड़े गायकों और फिल्म स्टार्स को चीफ गेस्ट के रूप में बुलाते हैं।